Garib ki Izzat - 1 in Hindi Women Focused by Kishanlal Sharma books and stories PDF | गरीब की इज्जत - पार्ट 1

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गरीब की इज्जत - पार्ट 1

आंखे खुलते ही लाजो अपनी अवस्था को देखकर हतप्रद रह गयी।फारेस्ट अफसर जिसे वह जंगल का अफसर मानती थी।उसके बेडरूम में वह निर्वस्त्र पड़ी थी।वह पलंग पर निर्वस्त्र पड़ी थी और उसके कपड़े पलंग से नीचे पड़े थे।जंगल के अफसर का कंही पता नही था।बेडरूम में पलंग पर वह अकेली थी।अपनी अवस्था देखकर उसे समझते हुए देर नही लगी कि उसके साथ क्या हुआ होगा।
अपनी हालत देखकर वह तुरंत पलंग से उठी।उसने अपने कपड़े जो नीचे पड़े थे।उठाये और जल्दी जल्दी उन्हें पहनकर वह बंगले से निकलकर भागी।
शाम ढलान पर थी।आसमान से अंधेरे की परतें जमीन पर उतर आई थीई।अंधेरे में जंगल उसे बेहद डरावना लग रहा था।भोर होते ही पक्षी अपने बसेरों से भोजन की तलाश में निकल जाते है और शाम ढलने पर लौट आते है।पेड़ो पर उनके चहकने की आवाजें उनके लौटने का सबूत दे रही थी।रह रहकर जंगली जानवरों के बोलने की आवाजें उसके कानों में पड़ रही थी।नीचे उसके पैरों तले रौंदे जाते पत्तो की खड़खड़ाहट का स्वर था।
जंगल से वापस अपने घर को लौटते समय लाजो उसके साथ आज हुए हादसे से बेहद उदगिन थी।उसने स्वप्न में भी नही सोचा था कि जंगल के अफसर को जिसे वह देव तुल्य समझने लगी थी।वह उसके साथ ऐसा कुकृत्य भी कर सकता है।उसके साथ ऐसी नीच और घिनोनी हरकत भी कर सकता है।
एक एक करके लाजो की आंखों के सामने अतीत की बाते चलचित्र की तरह घूमने लगी।
लाजो की कुछ महीने पहले ही जस्सो से शादी हुई थी।उसका पति जस्सो स्वस्थ,बलिष्ठ और गबरू नौजवान था।वह मेहनत मजदूरी करके पैसा कमाता था।यू तो उसका पति शरीफ,सज्जन और नेकदिल इंसान था लेकिन उसे एक बुरी लत थी।उसे ताड़ी पीने का जबरदस्त शौक था।वह घर पर शाम को ताड़ी के नशे में धुत्त लौटता।लाजो बेचारी क्या कर सकती थी।सिर्फ पति को समझा ही सकती थी।ऐसा नही है उसने पति को समझाने का प्रयास नही किया था।उसने प्रयास किया था।पर व्यर्थ।
पति में यह बुरी लत थी लेकिन इसके लिए वह पति को दोषी नही मानती थी।दोष था तो उसकी बिरादरी के था।
उसकी बिरादरी में दारू पीना बुरा नही माना जाता।उनकी बिरादरी में दारू पीने का प्रचलन आम था।सुख हो या दुख,हंसी हो या रज कोई भी अवसर हो दारू जरूर पी जाती थी।ऐसे अवसरों पर लोग सामूहिक रूप से साथ बैठकर दारू पीते थे।बिना दारू के उनकी बिरादरी में कोई कार्यक्रम सम्पन्न नही होता था।
लाजो का बाप दारू पितां था।उसका बाप कभी कभी जबरदस्ती लाजो की माँ को भी अपने साथ बैठा लेता था।उसकी बिरादरी में औरते भी दारू पीती थी।लेकिन लाजो ने शराब को छुआ भी नही था।इसलिए उसे शराब से सख्त नफरत थी।भले ही वह नफरत करे पर उसका पति पितां तहस।गनीमत थी उसके पिता की तरह जस्सो ने उसे पीने के लिए विवश नही किया था।
लाजो को शराब की गंध से भी नफरत थी।सुहागरात एक बेहद ही प्यारी और रोमांटिक रात।उस रात को पति और पत्नी के शरीर का पहली बार मिकन होता है।जब सुहागरात को उसका पति जस्सो शरण के नशे में उसके शरीर पर झुका तो,शराब का भभका उसके नथुनों में घुस गया था